गोधरा के हत्यारे

 



गोधरा के हत्यारे

राना अय्यूब की पुस्तक 'गुजरात फ़ाइल्स' प्रकाशित होने के बाद काफी चर्चा में रही थी | इसके पक्ष और विपक्ष में बहुत कुछ लिखा गया, पुस्तक पर तमाम घटनाओं के तथ्य न देने के आरोप भी लगे | लेकिन इन सब आरोपों प्रत्यारोपों के बावजूद इस पुस्तक की महत्ता बरकरार है और तब तक बरकरार रहेगी जब तक गुजरात या उसके जैसे मॉडल की चर्चा होगी, जहां दंगे, मुठभेड़, फर्जी एनकाउंटर सामन्य सी लगने वाली चीज हों, जहां राजनेता चरित्रहीन और लाशों के ढेर पर खड़ा हों |

पुस्तक में राना अय्यूब ने अपने स्टिंग आपरेशन के जरिए यह बात प्रस्तुत की है कि कैसे गोधरा में हुए ट्रेन आगजनी के बाद मुसलमानों को एक विलेन के रूप में प्रस्तुत किया गया और हिंदुओं को कत्लेआम मचाने की छूट दी गयी, इस नरसंहार में रईसजादों से लेकर मध्यवर्गीय जीवन के लोग चढबढ़ के शामिल थे और दंगा फैलाने के लिए सत्ता का समर्थन हासिल था | जिसके चलते ही नरेन्द्र मोदी ने अपनी हिंदू ध्वज रक्षक की एक वैश्विक छवि गढ़ी | इन्हीं हत्याओं और नरसंहारों के दम पर यह आदमी पूरी दुनिया में चर्चा के केन्द्र में बना रहा | इस पुस्तक का फलक गोधरा नरसंहार से लेकर गुजरात में हुए तमाम फर्जी एनकाउंटरों तक फैला हुआ है, जिसमें सोहराबुद्दीन हत्याकांड, इशरत जहां,कैसर बी और हरेन पाड्यां की हत्या का मामला प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है |

इस पुस्तक में एक जरूरी बात यह है कि कैसे गुजरात में होने वाल दंगों और एनकाउंटरों में पिछड़े और दलित पुलिस अफसरों और नौकरशाहों का जमकर प्रयोग किया गया और फिर उन्हें उन्हीं के हाल पर छोड़ दिया गया | जिनमें से आगे कइयों कों सजा मिली और कई सरकार द्वारा पुरस्कृत भी हुए | यह पुस्तक पुलिस महकमें के अफसरों और उन नौकरशाहों को जरूर पढ़नी चाहिए जो सत्ता के आगे हमेशा नतमस्तक रहते हैं | इससे उन्हें दो लाभ होंगे | एक तो सत्ता के 'यूज एंड थ्रों' के खेल को समझेंगे और साथ ही गृहमंत्री अमित शाह की कार्यप्रणाली को समझने में उन्हें मदद मिलेगी |

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