मतदाता, गणतंत्र दिवस और संघ के प्रयोग

 


मतदाता, गणतंत्र दिवस और संघ के प्रयोग

शुभम यादव

 

 

    मतदाता और गणतंत्र दिवस के दिन स्कूलों में अब राम सीता और हनुमान के नाम की रैलियाँ कोई आश्चर्य की बात नही बल्कि संघ इससे यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि आज हम आप जहाँ है वो राम और हनुमान के संघर्षों की देन है | समयानुसार वह बुद्ध, कबीर, फूले, लोहिया, अम्बेडकर का भी अपने लिये प्रयोग करता है यह संघ का अपने ढाँचे में किया गया बदलाव है | जिसका परिणाम हम आज देख रहें है | वह लगातार अपने आप में परिवर्तन कर रहा है उसने जनता को बरगलाने के लिये उन तमाम प्रतीकों को हथिया लिया है जिस पर बहुजन तबका गर्व करता रहा है | जिसे वह अब अपने तरीके से इस्तेमाल भी कर रहा हैं | सांस्कृतिक बदलाव के लिये उसने हर जिले में शाखायें खोल रखी है | जिसके माध्यम से वह  समय समय पर झाकीया, रैलियाँ व तमाम फिजूल के कार्यक्रम करता रहता है | आज से तीन चार दशक पहले उसने हर जिले में सरस्वती शिशु मन्दिर की स्थापना की | जिसके माध्यम से वह अपने समाज की आने वाली नयी पीढी से संवाद स्थापित कर रहा है और उनके माध्यम से उनके घरों में भी प्रवेश कर रहा | जिससे वह बहुत ही आसानी से उन्हे सामाजिक सांस्कृतिक और मानसिक तौर पर अपने तैयार संघीय ढाचे में बदल दे रहा |


बहरहाल अब दुश्मन को पहचानना और उससे लड़ना काफी मुश्किल भरा है पर असंभव नही | यह बहुत ही उपयुक्त समय है कि हमें अब एक सांस्कृतिक बदलाव की तरफ बढ़ना चाहिये अन्यथा हम सिर्फ कहने के लिये ही लाल-हरा-नीला बचेगें  और बाहर सब भगवा ही होगा |



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